हस के उठे वि हस के माता लिरिक्स सेवा में बाग लगाये, लगाये हो मैया, सेवा में बाग लगाये हो माँ, (४) ए मोरी मैया, सेवा में बाग लगाये हो माँ (२) हस के उठे वि हस के माता, जा चंदन पर ठाड़ भवानी, नींबू जटा, जटा पे नरियर, आस पास नरियर के बारी, केक्टी केवड़ा सदा न सरवर, सरवर देवता हंस विराजे, हंस म दाई के पहुँना साजे, पहुँना ऊपर दाई विराजे, दाई के संग म भैरव साजे, भैरव संग लंगूर विराजे, अन्नस फ़न्नस कुंज निवारे, धर्म ध्वजा लहराए .. लहराए ओ मैया, सेवा में बाग लगाए हो मां ... सेवा में बाग लगाए.. लगाए हो मैया, सेवा में बाग लगाए हो माँ, ए भवानी, सेवा में बाग लगाये हो माँ, जब इंद्रलोक ले उतर लंगरवा, बैला घोड़ा भये सवारियां, हाथ चदन और पांव खड़ौआ, गंगा जमुना खड़ा पाखरे, सवा हाथ धरती पर फाटे, उठे गुलालवा हाथ कमनिया, रह ही ठाये कुंज निवाये, साड़ी वदन और भई महामाई, पान खात मुख लाल भवानी, जीभला ह तोरे ललियाए, लालियाए हो मैया, सेवा में बाग लगाये हो माँ, सेवा में बाग लगाये, लगाये हो मैया, सेवा में बाग लगाये हो माँ, ए मोरी मैया सेवा में बाग लगाये हो माँ, जब कोठ नगर में उतर भवानी, सोना सिंहासन भवर पालकी, ...